सोमवार, 24 जून को देहरादून में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के तहत फिर से अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की गई। इस बार मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने रिस्पना नदी के किनारे काठ बंगाल और बीर सिंह बस्ती में यह कार्रवाई की। एमडीडीए ने इन इलाकों में 11 मार्च 2016 के बाद बने 59 घरों को ध्वस्त कर दिया।
दरअसल, एमडीडीए ने काठ बंगला क्षेत्र के 125 घरों को चिन्हित किया था, जिनमें से आज 59 घरों पर कार्रवाई की गई। इनमें से कुछ घरों के पास 2016 से पहले के कागजात थे, जिनके आधार पर उन पर रोक लगा दी गई। एनजीटी के निर्देश पर देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे साल 2016 के बाद किए गए निर्माण के सर्वेक्षण में कुल 524 अतिक्रमण चिन्हित किए गए थे। इनमें से 89 अतिक्रमण नगर निगम की भूमि पर, 12 नगर पालिका मसूरी की भूमि पर, और 11 राजस्व भूमि पर पाए गए थे।
दूसरी तरफ, देहरादून नगर निगम के नियंत्रण में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए जिस भूमि को एमडीडीए के नियंत्रण में दिया गया था, उस पर 412 से अधिक अतिक्रमण होने की बात सामने आई थी। करीब एक महीने पहले देहरादून नगर निगम ने आपत्तियों की सुनवाई के बाद 74 अतिक्रमण की अंतिम सूची तैयार की थी और संशोधन के बाद चुना भट्टा, दीपनगर और बॉडीगार्ड बस्ती में कुल 64 निर्माण ध्वस्त किए गए थे। एमडीडीए की ओर से रिवर फ्रंट की जमीनों पर किए गए कब्जों को लेकर नोटिस पहले ही भेजे गए थे, लेकिन आपत्तियों की जांच के बाद एमडीडीए ने चिन्हित 250 अवैध निर्माण की सूची तैयार की है।
एमडीडीए को आगामी 30 जून तक कार्रवाई कर एनजीटी के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। एमडीडीए की कार्रवाई का स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध भी किया, लेकिन सरकार ने 2016 के बाद का आधार लेकर यह कार्रवाई की, जो कि स्थानीय लोगों को उचित नहीं लगी।
कई लोगों का कहना है कि वे अपने घरों में बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं लगा पाए हैं, और उनके घरों के लिए अन्य प्रमाण पत्र के आधार पर छूट दी जानी चाहिए। वहीं, 2016 से पहले बने घरों के लिए विपक्ष ने भी विरोध जताया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एमडीडीए अधिकारियों और पुलिस प्रशासन से बातचीत कर अपने घरों के कागजात दिखाए और घरों को टूटने से बचाया।
जिलाधिकारी सोनिका ने बताया कि प्रशासन ने इन क्षेत्रों में सर्वे के लिए 2016 से पहले बिजली और पानी के कनेक्शन और अन्य सरकारी सुविधाओं को आधार बनाया है। इसी को देखते हुए इन सभी निर्माणों को अवैध करार देकर तोड़ा जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई की थी और अब एमडीडीए की तरफ से यह कार्रवाई की जा रही है।