रिस्पना नदी के किनारे अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण अभियान शुरू, 2016 के बाद बने अवैध निर्माणों को किया ध्वस्त

रिस्पना नदी
रिस्पना नदी

एमडीडीए की कार्रवाई शुरू

आज से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने रिस्पना नदी के किनारे अवैध निर्माणों के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की। यह कार्रवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पर हो रही है। एनजीटी के आदेशानुसार, वर्ष 2016 के बाद किए गए सभी अवैध निर्माणों को हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। एमडीडीए को आगामी 30 जून तक यह कार्रवाई पूरी कर एनजीटी के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।

रिस्पना नदी

सर्वेक्षण और अतिक्रमण

एनजीटी के निर्देश पर हुए सर्वेक्षण में रिस्पना के किनारे कुल 524 अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे। इनमें से 89 अतिक्रमण नगर निगम की भूमि पर, 12 नगर पालिका मसूरी की भूमि पर, और 11 राजस्व भूमि पर पाए गए। इस सर्वेक्षण के पश्चात एमडीडीए ने अवैध निर्माणों की सूची तैयार की और ध्वस्तीकरण का अभियान शुरू किया।

 

कार्रवाई का विरोध

अवैध निर्माण हटाने की इस कार्रवाई का स्थानीय निवासियों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। लोग इस कार्रवाई को गलत ठहरा रहे हैं और कह रहे हैं कि उनके पास 2016 से पहले के सारे दस्तावेज हैं, फिर भी उनके घरों को ध्वस्त किया जा रहा है। निवासियों का कहना है कि प्रशासन जोर-जबरदस्ती कर रहा है और उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घर तोड़े जा रहे हैं।

रिस्पना नदी किनारे 2016 के बाद

 

महिलाओं का विरोध

काठ बांग्ला बस्ती में कई महिलाएं रो-रो कर विरोध कर रही हैं। एक महिला तो सड़क के बीच में लेट गई और कार्रवाई का विरोध करने लगी। हालांकि, पुलिस ने उसे वहां से हटा दिया।

जेसीबी द्वारा शत्रुघ्न मेहता का घर भी ध्वस्त

रिस्पना नदी के किनारे हो रहे ध्वस्तीकरण अभियान में शत्रुघ्न मेहता का घर भी तोड़ा गया। शत्रुघ्न मेहता का कहना है कि उनके घर का हाउस टैक्स, बिजली बिल और पानी बिल सभी 2016 से पहले के हैं, लेकिन फिर भी उनके घर को अतिक्रमण के नाम पर ध्वस्त कर दिया गया। उन्होंने अपने सारे दस्तावेज अधिकारियों को दिखाए, लेकिन उन्होंने देखने से मना कर दिया।

नोटिस न होने का आरोप

शत्रुघ्न मेहता ने आरोप लगाया कि अधिकारियों के पास उनके घर को तोड़ने का कोई नोटिस भी नहीं था। इसके बावजूद उनके घर को जबरदस्ती तोड़ा गया। उनका कहना था कि उनका हाउस टैक्स, बिजली बिल और पानी बिल 2014 से नियमित रूप से भरा जा रहा है, फिर भी उनके घर पर बुलडोजर चलाया गया।

निवासियों का विरोध

इस ध्वस्तीकरण कार्रवाई के दौरान कई निवासियों ने प्रशासन के खिलाफ विरोध जताया। उनका कहना है कि उनके पास वैध दस्तावेज होते हुए भी उनके घरों को ध्वस्त किया जा रहा है। निवासियों का आरोप है कि प्रशासन ने उनके दस्तावेजों की जांच करने से मना कर दिया और बिना किसी नोटिस के ही कार्रवाई शुरू कर दी।

प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल

शत्रुघ्न मेहता जैसे कई निवासियों का कहना है कि जब उनके पास 2016 से पहले के सारे दस्तावेज मौजूद हैं, तो उनके घरों को अतिक्रमण के नाम पर क्यों तोड़ा जा रहा है। यह सवाल उठता है कि जब ये बस्तियां बसाई जा रही थीं, तब प्रशासन ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। इसके विपरीत, उन्हें बिजली, पानी और हाउस टैक्स जैसी सुविधाएं दी गईं। अब अचानक से इन सुविधाओं के होते हुए भी उनके घरों को ध्वस्त किया जा रहा है, जिससे वे बेहद परेशान हैं और उनके बच्चों के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।

न्यूज़ आप तक का मजिस्ट्रेट से सवाल

जब न्यूज़ आप तक ने मौके पर मौजूद मजिस्ट्रेट से ध्वस्तीकरण और दस्तावेजों की जांच के संबंध में सवाल किया, तो मजिस्ट्रेट ने स्पष्ट किया कि उनके पास मौके पर कोई भी दस्तावेज नहीं है। उनका कहना था कि वे सिर्फ कानून और व्यवस्था को संभालने के लिए वहां मौजूद हैं।

सवालों का सिलसिला

हालांकि, यह बयान कई सवाल खड़े करता है:

  1. ध्वस्तीकरण आदेश की पारदर्शिता: अधिकारियों के पास क्या उचित ध्वस्तीकरण आदेश हैं या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। जब कार्रवाई की जा रही है, तो क्या यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं का पालन हो रहा है?
  2. दस्तावेजों की जांच: जब निवासियों ने अपने दस्तावेज दिखाए, तो अधिकारियों ने उन्हें देखने से इनकार क्यों किया? क्या दस्तावेजों की जांच के लिए कोई प्रक्रिया नहीं बनाई गई थी?
  3. नोटिस का अभाव: शत्रुघ्न मेहता जैसे निवासियों का आरोप है कि उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया। यदि यह सही है, तो क्या प्रशासन ने कानूनी रूप से सही तरीके से काम किया है?
  4. प्रशासनिक जिम्मेदारी: जब बस्तियां बसाई जा रही थीं और लोगों को बिजली, पानी और हाउस टैक्स जैसी सुविधाएं दी जा रही थीं, तब प्रशासन ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? अब अचानक से यह कार्रवाई क्यों की जा रही है?

निवासियों की चिंताएं

निवासियों की प्रमुख चिंताएं इस प्रकार हैं:

  • दस्तावेजों की अनदेखी: निवासियों का आरोप है कि उन्होंने अपने वैध दस्तावेज अधिकारियों को दिखाए, लेकिन उनकी अनदेखी की गई।
  • भविष्य की अनिश्चितता: घरों के ध्वस्त होने से निवासियों को अपने और अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है। वे कहां जाएंगे, यह सवाल उनके सामने खड़ा है।

यह मामला न केवल कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि निवासियों के अधिकारों और उनके जीवन पर प्रभाव को भी उजागर करता है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी कानूनी प्रक्रियाओं का सही तरीके से पालन हो और निवासियों को न्याय मिले। साथ ही, निवासियों की समस्याओं का समाधान निकालने के लिए प्रशासन को संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ काम करना चाहिए।

250 अवैध निर्माणों पर बुलडोजर

एमडीडीए ने रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए अधीनस्थ भूमि पर किए गए 412 अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने का निर्णय लिया है। एमडीडीए ने इन अतिक्रमणकारियों को पहले ही नोटिस भेज दिए थे और आपत्तियों की जांच के बाद 250 अवैध निर्माणों की अंतिम सूची तैयार की गई है।

कार्रवाई का महत्त्व

यह कार्रवाई रिस्पना नदी के किनारे पर्यावरण को बचाने और नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। एमडीडीए और नगर निगम की संयुक्त कार्रवाई से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि नदी के किनारे का क्षेत्र साफ-सुथरा और अवैध कब्जों से मुक्त हो सके।

रिस्पना नदी के किनारे अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण का यह अभियान पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, स्थानीय निवासियों की आपत्तियों और विरोध को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वैध दस्तावेज़ों के साथ जिन घरों को ध्वस्त किया जा रहा है, उनके निवासियों को न्याय मिले। प्रशासन की यह कार्रवाई एक ओर पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, वहीं दूसरी ओर निवासियों के मानवाधिकारों का भी सम्मान होना चाहिए।

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