Dhirendra Krishna Shastri : बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने संत गोपालमणि की गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने संबंधी मांग का समर्थन किया है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री गुरुवार को संत गोपालमणि के नालूपानी (उत्तरकाशी) स्थित गोलोक धाम आश्रम पहुंचे। इस दौरान उन्होंने हिंदुओं को मतांतरण को लेकर जागरूक रहने की सलाह दी। उन्होंने गोलोक चोपड़ धाम में भी तीन दिन पाठ करने की बात कही।
संवाद सूत्र, जागरण, चिन्यालीसौड़ (उत्तरकाशी)
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री: बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने संत गोपालमणि की गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने संबंधी मांग का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा, “देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि जिसे हम माता कहते हैं, वह गाय आज सड़क पर घूम रही है। देश में सौ करोड़ हिंदू रहते हैं, लेकिन इनसे महज 37 करोड़ गोवंश भी नहीं रखा जा रहा।”
मतांतरण को लेकर जागरूक रहने की सलाह
पंडित धीरेंद्र शास्त्री गुरुवार को संत गोपालमणि के नालूपानी (उत्तरकाशी) स्थित गोलोक धाम आश्रम पहुंचे। इस दौरान उन्होंने हिंदुओं को मतांतरण को लेकर जागरूक रहने की सलाह दी। कहा कि “हलीउल्लाह वाले अनपढ़-गंवार को दवाई के नाम पर बुलाते हैं और फिर उनका मतांतरण करवाते हैं। इस तरह के कृत्यों को रोकने के लिए जरूरी है कि हिंदू, पिछड़े लोगों की मदद करें।”
उन्होंने यह भी कहा कि वे यहां प्रवचन सुनाने, चमत्कार व सिद्धियां दिखाने नहीं आए हैं, बल्कि हिंदुओं को जगाने आए हैं। उन्होंने गोलोक चोपड़ धाम में भी तीन दिन पाठ करने की बात कही।
इस मौके पर संत गोपालमणि, कथावाचक सीताशरण, यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल, केंद्रीय अनुसूचित जाति आयोग की पूर्व सदस्य डा. स्वराज विद्वान, रामसुंदर नौटियाल, सुमन बडोनी, मनोज कोहली, सुभाष नौटियाल, खिमानंद बिजल्वाण, नत्थीलाल बंगवाल, संगीता सेमवाल आदि मौजूद रहे।
गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने भाषण में जोर देते हुए कहा कि गाय हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और उसे राष्ट्रमाता का दर्जा मिलना चाहिए। यह न केवल हमारी धार्मिक भावना का सम्मान होगा बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा को भी मजबूती प्रदान करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि हमारे समाज में गाय का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल से ही गाय को पूजनीय माना गया है और उसकी सेवा करने से ही हमें पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन आज की परिस्थिति में गायों की दुर्दशा देखकर मन बहुत दुखी होता है।
हिंदू धर्म की रक्षा का संकल्प
धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदुओं को जागरूक रहने की सलाह दी और कहा कि हमें अपने धर्म की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मतांतरण के बढ़ते मामलों को देखते हुए हमें सतर्क रहना चाहिए और अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं की रक्षा करनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने समाज के पिछड़े वर्गों की मदद करनी चाहिए ताकि वे किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी का शिकार न हों। हमें अपने समाज को एकजुट और मजबूत बनाना होगा ताकि कोई भी बाहरी ताकत हमारे धर्म को नुकसान नहीं पहुंचा सके।
तीन दिन का पाठ
धीरेंद्र शास्त्री ने गोलोक चोपड़ धाम में तीन दिन का पाठ करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस पाठ के माध्यम से हम अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करेंगे और अपने समाज को जागरूक करेंगे।
धीरेंद्र शास्त्री के इस संदेश ने वहां उपस्थित लोगों को गहराई से प्रभावित किया और उन्हें अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए जागरूक और सतर्क रहने का संकल्प दिलाया। संत गोपालमणि और अन्य धर्मगुरुओं के साथ मिलकर उन्होंने इस दिशा में और भी प्रयास करने की बात कही ताकि हम एक मजबूत और एकजुट समाज बना सकें।