पिनाहट ब्लॉक क्षेत्र का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सेहा पिछले एक महीने से बंद है। इस दौरान न तो कोई डॉक्टर यहां पहुंचा है और न ही किसी मरीज का इलाज हुआ है। हताश ग्रामीणों ने जब अस्पताल का निरीक्षण किया तो उन्हें चौंकाने वाला दृश्य देखने को मिला। अस्पताल परिसर के बाहर खुले में कूड़े के ढेर में भारी मात्रा में एक्सपायर दवाएं पड़ी हुई थीं।
ग्रामीणों का आक्रोश:
इस लापरवाही से ग्रामीण भड़क गए और उन्होंने जमकर हंगामा किया। उनका आरोप है कि अस्पताल में ताला लटका होने के बावजूद लाखों रुपये की दवाएं बर्बाद हो रही हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में न तो कोई डॉक्टर है और न ही कोई अन्य स्टाफ। अस्पताल भवन जर्जर हालत में है, खिड़कियां-दरवाजे टूटे हुए हैं, और पेयजल व्यवस्था भी बदहाल है।
सरकारी तंत्र की लापरवाही:
यह मामला ग्रामीण आंचल में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली का एक ज्वलंत उदाहरण है। लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद सरकार ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में विफल रही है।
क्या होगा आगे?
ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वे और भी बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे।
यह घटना कई सवालों को जन्म देती है:
- आखिरकार, एक महीने से बंद रहने के बावजूद अस्पताल में दवाओं का इतना बड़ा भंडार कैसे जमा हो गया?
- इन दवाओं को किसने फेंका?
- क्या इस लापरवाही की जांच होगी?
- ग्रामीणों को कब तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी?
यह उम्मीद की जा सकती है कि सरकार इस मामले पर ध्यान देगी और ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए ठोस कदम उठाएगी।