Rishikesh Karnaprayag Rail Status : ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन : 2025 में दौड़ेंगी ट्रेनें, जानिए इस परियोजना के 5 मुख्य फायदे

Rishikesh Karnaprayag Rail Status : रेलवे का दावा है कि देवभूमि उत्तराखंड में निर्माणाधीन ऋषिकेश- कर्णप्रयाग नई रेल लाइन का काम 70 फीसदी पूरा गया है। साल 2025 में इस रूट पर यात्री ट्रेनें दौड़ने लगेंगी।भारतीय रेलवे का दावा है कि देवभूमि उत्तराखंड में निर्माणाधीन ऋषिकेश-कर्णप्रयाग नई रेल लाइन का काम 70 फीसदी पूरा गया है।

साल 2025 में इस रूट पर यात्री ट्रेन दौड़ने लगेंगी। सड़क परिवहन की अपेक्षा ट्रेन से ऋषिकेश- कर्णप्रयाग का सफर आधे समय में पूरा होगा। इससे सालाना 20 करोड़ रुपये ईंधन की बचत होगी। इसके अलावा रेल पहाड़ों के पर्यावरण को बचाने में मददगार साबित होगी, जिससे उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता बनी रहेगी।रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल लाइन को 99 साल के लिए डिजाइन तैयार किया गया है। दोनों शहरों के बीच पीक सीजन में यात्री ट्रेन चार फेरे लगाएंगी, जबकि सामान्य दिनों में दो फेरे लगाएंगी। सार्वजनिक उपक्रम की रिपोर्ट के अनुसार, 125 किलोमीटर की दूरी ट्रेन से डेढ़ से दो घंटे में पूरा होगी। वर्तमान में सड़क परिवहन (राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-58) से उक्त दोनों शहरों की दूरी नापने में 4.45 से पांच घंटे लगते हैं। ऋषिकेश- कर्णप्रयाग के बीच प्रतिदिन 645 पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू) चलते हैं। यह वाहन औसतन पांच किलोमीटर माइलेज देते हैं और 16125 लीटर ईंधन की खपत करते हैं।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के 5 मुख्य फायदे

1. आधे समय में यात्रा: ऋषिकेश से कर्णप्रयाग का सफर ट्रेन से सड़क के मुकाबले आधे समय में पूरा होगा। यानी जहां अभी 4-5 घंटे लगते हैं, वहीं ट्रेन से डेढ़ से दो घंटे में सफर पूरा हो जाएगा।

2. ईंधन की बचत: रेल लाइन बनने से हर साल 20 करोड़ रुपये की ईंधन बचत होगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि 60% यात्री और माल रेलवे से ढुलाई किए जाएंगे।

3. पर्यावरण को फायदा: सड़क परिवहन की तुलना में रेलवे कम प्रदूषण फैलाता है। इससे पहाड़ों के पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी और उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता बनी रहेगी।

4. रोजगार के अवसर: रेल लाइन के निर्माण और रखरखाव से 1090 लोगों को स्थायी रोजगार मिलेगा। इसके अलावा पर्यटन, बाजार और परिवहन क्षेत्र में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

5. बेहतर कनेक्टिविटी: यह रेल लाइन ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और उत्तराखंड के विकास में मदद मिलेगी।

 ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन न केवल यात्रियों और माल ढुलाई के लिए एक तेज़ और सुविधाजनक साधन होगी, बल्कि यह उत्तराखंड के पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद होगी।

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ईंधन के बेसिक दर के अनुसार, यह राशि 29,42,81,250 रुपये हुई। कमोबेश दो किलोमीटर माइलेज के साथ हर साल 7752 व्यावसायिक वाहन 484540 लीटर ईंधन फूंकते हैं, जो 24,22,70,000 रुपये के बराबर है।

अनुमान है कि सड़क परिवहन के 60 फीसदी यात्री व माल की ढुलाई रेलवे से होगी, जिससे लगभग 20 करोड़ रुपये ईंधन खपत की बचत होगी। इसके अलावा, ट्रेन, सड़क परिवहन से आधे समय में यात्री व माल को गंतव्य तक पहुंचाएगी।रिपोर्ट के अनुसार, रेल लाइन की मरम्मत व रखरखाव के लिए 450 लोगों को स्थायी रोजगार मिलेगा। रेल लाइन निर्माण में 6400 कामगार लगे हुए हैं। उत्तराखंड के उक्त दोनों शहरों के बीच पर्यटन, बाजार, ट्रांसपोटेशन 1800 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना होगी।

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