Andaman Nicobar : कृषि विज्ञान केंद्र के निंबुडेरा फार्म में किसानों के लिए धान की कटाई के उपकरण व मशीनरी पर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. वी. दामोदरन, उप प्रधान विभूतिरंजन बिस्वास बसंतीपुर, किसान, कृषक महिला उपस्थित रहे।
शुरुआत में डॉ. वी. दामोदरन ने धान कटाई मशीनरी में हालिया प्रगति यानी उन्नत हंसिया, श्रब कटर, रीपर और कंबाइन हार्वेस्टर के माध्यम से कटाई के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उन्नत हंसिया पारंपरिक हंसिया की तुलना में अधिक कुशल और उत्पादक है। श्रब कटर छोटे और मध्यम आकार के खेतों के लिए एक अच्छा विकल्प है। रीपर बड़े खेतों के लिए अधिक उपयुक्त है। कंबाइन हार्वेस्टर सभी कार्यों को एक साथ कर सकता है, जिसमें कटाई, थ्रेसिंग और बंडल बनाना शामिल है।
उन्होंने उत्तर और मध्य अंडमान जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक खेती, एकीकृत कृषि प्रणाली और जैविक इनपुट व जैव कीटनाशकों आदि की तैयारी के बारे में भी चर्चा की है।
बाद में, किसानों को उन्नत दरांती वितरित की गई और किसानों और खेतिहर महिलाओं ने प्रदर्शन में भाग लिया। किसानों ने धान की खेती में गहरी रुचि दिखाई है और खरीफ सीजन के दौरान खेती के लिए एएनआर-40 किस्म के बीज की मांग की है।
विषय वस्तु विशेषज्ञ मनोज कुमार ने प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन मनोज कुमार ने किया। कार्यक्रम में लगभग 40 किसानों और कृषक महिलाओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम के उद्देश्य
- किसानों को धान कटाई के आधुनिक उपकरणों और मशीनरी के बारे में जानकारी प्रदान करना।
- किसानों को धान की खेती में अधिक कुशल और उत्पादक बनने में मदद करना।
- प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना।
कार्यक्रम के परिणाम
- किसानों को धान कटाई के आधुनिक उपकरणों और मशीनरी के बारे में अच्छी जानकारी मिली।
- किसानों ने धान की खेती में अधिक कुशल और उत्पादक बनने का संकल्प लिया।
- किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाने की इच्छा व्यक्त की।
कार्यक्रम का महत्व
धान कटाई धान की खेती का एक महत्वपूर्ण चरण है। पारंपरिक तरीकों से धान की कटाई समय लेने वाली और श्रमसाध्य प्रक्रिया है। आधुनिक उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके धान की कटाई को अधिक कुशल और उत्पादक बनाया जा सकता है। यह किसानों को समय और श्रम की बचत करने में मदद करता है।
प्राकृतिक खेती पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ खेती प्रणाली है। यह किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन करने में मदद करती है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को धान कटाई के आधुनिक तरीकों और प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी मिली। यह कार्यक्रम किसानों के लिए लाभकारी साबित हुआ है।